द गर्ल इन रूम 105
फुसफुसाते हुए कहा।
मैंने सौरभ को एक किक मारकर उसे चुप किया। जब कोई फ़ोन पर रो रहा हो तो मुझे ऐहतियात से उसे
सुनना था। 'अब ये सब बेकार है। ये सारा पैसा इसके कोई मायने नहीं, रघु कह रहा था। मैं सोचने लगा कि अगर रघु
को रोने के लिए किसी कंधे की ही दरकार है तो वो उसको कहीं से भी मिल सकता है। इसके लिए मेरी कोई ज़रूरत नहीं थी।
'मैं समझ सकता हूं, रघु मेरे घर पर कोई आया है। हम दिल्ली में मिलकर बात करेंगे।'
"हां, ठीक है। तुम्हारा समय लेने के लिए सॉरी। एक बार फिर से बहुत-बहुत शुक्रिया।' मैंने फ़ोन काटा और सौरभ पर तकिया दे मारा। 'साले, ये कोई मजाक करने का समय है?"
सौरभ हंस पड़ा।
'तुमने इसको अच्छे-से हैंडल किया।
'हां, तुमने उसको सब सच सच भी बता दिया, और उसको अहसास भी नहीं होने दिया, सौरभ
"ऐसा क्या?"
'
लेटते हुए कहा।
मैंने अपना फ़ोन और लैपटॉप एक तरफ रख दिया।
'भाई, वहां जाने में आलस आ रहा है। गुड नाइट, सौरभ ने कहा और बेडसाइड लैंप बुझा दिया।
'गोलू, अपने कमरे में जाकर सोओ।'
मैं बेड पर आंखें खोले लेटा रहा। मैं रघु से हुई बातचीत के बारे में सोच रहा था। क्या मैं सच में मैच्योर हो गया था? अब मुझे रघु की कामयाबी से जलन नहीं हो रही थी। ना ही मुझे उसको उसकी मंगेतर के अफ़ेयर की
खबर सुनाते समय खुशी हुई थी। मैंने उस पर कोई कटाक्ष नहीं किए। वो इतनी तकलीफ़ में था कि हज़ार करोड़
रुपए भी उसे बेकार लग रहे थे। वो कह रहा था कि ज़ारा के बिना उसकी ज़िंदगी अधूरी है। मैं छत की ओर देखता रहा और यही सब सोचता रहा।
आधे घंटे बाद मैंने बत्ती जला दी। 'क्या हुआ?' सौरभ ने उनींदी आवाज़ में पूछा।
'मुझे नींद नहीं आ रही है। मैं थोड़ा टहलकर आता हूं।"
'हु?' सौरभ ने आंखें मलते हुए कहा। 'तुम किसी ट्रिप पर चलना चाहोगे?"
'क्या?'
"ज़ारा वाले कार्यक्रम तक कहीं घूमने चलते हैं। इससे हमें खुद को तनाव से बचाने में मदद मिलेगी।'
'क्लासेस की ऐसी की तैसी।"
ने बेड पर
से
"क्या? कहां? और क्लासेस का क्या होगा?' "भाई, मैं अब ट्रैवल नहीं कर सकता। मैं अपने कोर्स शेड्यूल से बहुत पीछे चल रहा हूं। चंदन मुझे नौकरी
नहीं निकालेगा, वो मेरी जान भी ले लेगा।' 'ठीक है। तो मैं अकेला जा रहा हूं, मैंने कहा और उठ खड़ा हुआ। फिर कबर्ड खोलकर सूटकेस में कपड़े
जमाने लगा।
"लेकिन कहां?"
'मैं बाद में बताऊंगा। तुम अभी सो जाओ। और मेरी तरफ से चंदन का ख्याल रखना, प्लीज़।'